स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत एक नवपरिवर्तनकारी और महत्वकांक्षी पहल राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) आरंभ किया गया है
जो की स्वास्थ्य जाँच, प्रारंभिक स्वास्थ्य सेवाएं, बच्चों में बीमारियों को पहचानने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण तथा इस दृष्टिकोण को स्वास्थ्य सेवाओं, सहयता और उपचार आदि सेवाओं से जोड़ने की परिकल्पना करता है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यकर्म अकेला ऐसा कार्यक्रम है जो बच्चों के जीवन की समग्र गुणवत्ता को ऊपर उठाने के लिए कार्य कर रहा है और उन्हें अपनी सम्पूर्ण क्षमता को पाने योग्य बनाने के लिए प्रयासरत है तथा साथ ही बाल स्वास्थ्य कार्यकर्म समुदाय के सभी बच्चों को व्यापक स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान करता है।
इस कार्यक्रम में जन्म से अठारह वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य जाँच शामिल है, स्वास्थ्य जाँच मैं चार श्रेणियों जन्म जात रोग, कमियाँ , बीमारियाँ, विकास में देरी में श्रेणीबद्ध 32 रोगों की जाँच की जाती है, ता की इन रोगों का शीघ्र पता लगाया जा सकें, बीमार बच्चों का प्रबंधन किया जा सकें, निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें साथ ही इसमें तृतीयक स्तर पर सर्जरी भी शामिल है। इन चार श्रेणियों में श्रेणीबद्ध रोगों को 4 डी. के नाम से भी जाना जाता है।
यदि स्वास्थ्य जाँच में 32 रोगों में से कोई रोग पाया जाता है तो उन बच्चों को प्रारंभिक स्वास्थ्य सेवाएं जिला स्तर पर प्रदान की जाती है। ये सभी स्वास्थ्य सेवाएं निशुलक प्रदान की जाती है जो की परिवार को उपचार पर होने वाले खर्चो को कम करने में सहायता प्रदान करती है।
बच्चों को जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए, आंगनवाड़ी केंद्रों में नामांकित 0-6 वर्ष की आयु समूह के बच्चों के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय और सरकारी व गैर-सरकारी विद्यालयों में नामांकित बच्चों की जाँच हेतु मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बीच सुदृढ़ सहयोग है। नवज़ात बच्चों में जन्मजात रोगों का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य जाँच, स्वास्थ्य केन्द्रो में चिकित्साकों द्वारा की जाती हैं और उसके बाद आशा द्वारा बच्चों की जाँच घर में ही की जाती हैं।
यद्यपि कार्य विशालकाय है परंतु एक व्यस्थित पहल के अंतर्गत संभव है जिसकी राष्ट्रीय बाल विकास कार्यक्रम परिकल्पना करता हैं। यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाएगा, तो यह कार्यक्रम बच्चों को एक स्वस्थ जीवन देने, स्वास्थ्य की रक्षा करने और बाल स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मददगार होगा।